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बीए सेमेस्टर-1 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2675
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्र

प्रश्न- अजन्ता गुहा के भित्ति चित्रों की विशेषताएँ लिखिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. अजन्ता की गुफा के चित्रों में भाव अभिव्यक्ति किस प्रकार की है?
2. अजन्ता के चित्रों के रेखा सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
3. अजन्ता के चित्रों में वर्ण संयोजन कैसा किया गया है?
4. अजन्ता के चित्रकारों ने भावों को स्पष्ट करने हेतु किस प्रकार की हस्त मुद्राओं का प्रयोग किया है?
5. अजन्ता के चित्रों में नारी का सौन्दर्य किस दर्जे का दर्शाया गया है?
6. अजन्ता के आलेखनों पर एक टिप्पणी लिखिए।
7. अजन्ता में पशु-पक्षी एवं वनस्पतियों के चित्रण का वर्णन करिए।
8. अजंता के चित्रों की विशेषताओं पर विस्तार से व्याख्या कीजिए।
अथवा
अजंता के भित्ति चित्रों की विधि एवं तकनीक की विस्तार से विवेचना कीजिए।

उत्तर -

अजन्ता गुहा के भित्ति चित्रों की विशेषताएँ -

अजन्ता की भित्ति चित्रकला हर प्रकार से बहुत ही प्रशंसनीय है। इसमें रेखाओं की साधना व रंगों की चमक तथा प्रफुल्ल भाव और जीवन के साथ एक अद्भुत अभिव्यक्ति की अधिकता आदि सबने मिलकर यहाँ की चित्रकला को उच्चतम शिखर पर पहुँचा दिया। इन भित्ति चित्रों की विशेषताएँ निम्न प्रकार से

(1) भाव अभिव्यक्ति - अजन्ता की कला भाव प्रधान मानी गयी है। चित्रावली में . भावनाओं का चित्रण ही चित्र की आत्मा रही है। यही कारण है कि सभी कलाकृतियाँ जीवन्त व प्राणवान लगती हैं। चित्रकार का प्रधान लक्ष्य भावों का चित्रण और उसके बाद रसों का सृजन ही रहा है। इन लोगों ने मानव के सभी भाव तथा उसकी भावनाओं को चित्रित करने में पूर्ण दक्षता प्राप्त की थी। चित्रकारों ने प्रसन्नता, क्षोभ, करुणा, वात्सल्य, प्रेम, त्याग, दया, वीरता, व्याकुलता, क्रोध आदि सभी भावनाओं को पात्रों के माध्यम से बड़ी सहजता के साथ चित्रभूमि पर अभिव्यक्त कर दिया है। नेत्रों एवं अँगुलियों के चित्रण में विभिन्न आकृतियों की भंगिमा में तथा छोटी-से-छोटी वस्तु के अंकन में यही उद्देश्य निहित है जिसको चित्रकार ने अभूतपूर्व सफलता के साथ चित्रित कर दिया है। इस गुहा की कला में ऐसा कोई भी चित्रण नहीं दिखायी पड़ता है जिसमें चित्रकार ने जो भाव पैदा करना चाहा हो और सफल न हुआ हो। बल्कि विरोधी भावों के अंकन में भी इन्होंने कमाल कर दिखाया है। भावों का इतना स्पष्ट तथा मन को छू लेने वाला चित्र विश्व में अन्यत्र कहीं भी दिखायी नहीं पड़ता है। ग्रिफिक्स महोदय के विचार से, “जिस मस्तिष्क ने अजन्ता के चित्रों की कल्पना तथा रचना की, उसकी अवस्था में और चौदहवीं शताब्दी में इटालियन चित्रों को बनाने वाले चित्रकारों के मस्तिष्क की अवस्था में बहुत हद तक समानता दिखती हैं। इस चित्र को जिस किसी चित्रकार ने बनाया हो, वे लोग सांसारिक अवश्य रहे होंगे, क्योंकि दैनिक जीवन से सम्बन्धित जो चित्र इन भित्तियों पर बनाये गये हैं, वे ऐसे ही चित्रकारों द्वारा बनाये गये हैं, जिनकी निरीक्षण शक्ति बड़ी तीव्र और स्मरण शक्ति चिर स्थायी रही थी।"

(2) रेखा सौष्ठव - अजन्ता के चित्रों में रेखाओं की सूक्ष्मता तथा प्रवाहमानता के दर्शन होते हैं। उनमें कहीं भी भारीपन या उलझाव नाममात्र के लिए भी नहीं है। यही कारण है कि कुछ विद्वानों ने अजन्ता की चित्रकारी का सबसे बड़ा लक्षण रेखाओं का सफल अंकन ही माना है। यहाँ के चित्र में इतनी गतिमयता है कि थोड़े से प्रत्यावर्तन से चित्र की रूपरेखा उभर कर दिखायी पड़ने लगती है। यहाँ की समस्त रेखाएँ, सार्थक, भावपूर्ण बनायी गयी हैं। चित्रकारों ने अपने मन की भावनाओं को थोड़ी ही रेखाओं के माध्यम से सफलतापूर्वक अंकन करके दृश्यामान कर दिया है। इन रेखाओं का अंकन भावों के अनुकूल किया गया है। रेखाओं द्वारा भावों का इतना सौन्दर्यपूर्ण समन्वय जहाँ अजन्ता की गुहा भित्ति चित्र में हुआ है, वैसा विश्व के कला इतिहास में मिलना सम्भव नहीं लगता है।

(3) वर्ण संयोजनअजन्ता के चित्रों में वर्ण संयोजन बड़ी कुशलता के साथ किया गया है। उनमें गेरुआ, रामरज, काजली, नीला, पीला, कृष्ण एवं उज्ज्वल वर्ण का प्रयोग किया गया है। यहाँ पर चित्रकारों ने गहरी पृष्ठभूमि पर हल्के रंग से आकृतियाँ अंकित की हैं। एक चित्र को दूसरे चित्र से पृथक करने के लिए रक्त वर्ण एवं हरे वर्ण की सीमा रेखा बनायी गयी है तथा असभ्य मानव के लिए हरे वर्ण का प्रयोग किया गया है। यहाँ पर वर्ण गहरे होते हुए भी भारीपन से पूरी तरह मुक्त हैं। जिन प्रस्तरों पर दृश्य अंकित किए गए हैं वे खुरदुरे हैं तथा उन्हें विशेष प्रकार के शुभ्र लेपन द्वारा तैयार किया गया है। यहाँ के वर्ण माधुर्य के विषय में एक्सिल जॉर्ज का विचार है कि "अजन्ता के वर्ण किसी विस्तार वाले अन्य देशों के प्राचीन चित्रों की अपेक्षा गहरे हैं, लेकिन उनमें अद्वितीय सुन्दरता दिखती है। उनमें किसी भी तरह से भारीपन का बोध नहीं होता है और चित्र विषय के अनुरूप ही वर्णों का चुनाव बड़ा ही रोचक रहा है।" गुहा संख्या सत्रह में चित्रित महाहंस जातक नामक कथा चित्र अपनी उत्कृष्ट वर्ण-योजना के लिए ही प्रसिद्ध रहा है। यह वर्ण आज भी चित्र में ज्यों का त्यों विद्यमान है। उसकी चमक में किसी प्रकार का अन्तर नहीं आने पाया है। इस प्रकार अजन्ता गुहा का वर्ण-संयोजन बड़ा ही अद्भुत व नयनाभिराम रहा है।

(4) संयोजन - अजन्ता गुहा की संयोजन शैली बड़ी अनुपम रही है। चित्रकारों ने चित्रों के मुख्य रूप को विशाल व अन्तराल के केन्द्र में बनाया है जिसके कारण एक साधारण कलाप्रेमी 'को भी प्रधान वस्तु व प्रमुख पात्र तक पहुँचने में विशेष प्रयास करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है, बल्कि नेत्र स्वत: ही चित्र के केन्द्र में पहुँचकर चित्र के अनुसार उसी भाव रस में डूब जाते हैं। जहाँ मुख्य पात्र को चित्रकारों ने केन्द्र में बनाया है, वहीं सहायक आकृतियों को मुख्य आकृति के इधर-उधर अंकित करके मुख्य आकृति को और भी महत्त्व प्रदान किया है। इस प्रकार चित्र में केन्द्रीयता के नियम का पालन चित्रकारों ने पूरी तरह से किया है। चित्र खण्ड में न विभाजित होकर लगातार बनते गए हैं, कहीं भी हाशिये का प्रयोग नहीं किया गया है। ऐसा लगता है मानो हम कहानी चित्रण देख रहे हों। भित्तियों पर इस प्रकार का विशाल संयोजन अजन्ता की मुख्य विशेषता रही है।

(5) हस्त, पाद मुद्राएँ एवं भंगिमाएँ - अजन्ता के चित्रकारों ने भावों के स्पष्टीकरण हेतु विभिन्न प्रकार की हस्त मुद्राओं का प्रयोग किया है तथा स्नेह, मित्रता, क्रोध, उत्साह, वीरता, भय, लज्जा, घृणा, उत्सव, सम्पन्नता एवं विपन्नता, वैराग्य आदि भावों का प्रदर्शन चित्रों में किया है। प्रत्येक हस्त मुद्राएँ चित्रित पात्रों की हस्तगत भावना को अभिव्यक्ति प्रदान करने में बड़ी सहायक बन गयी हैं जिसका वर्णन करने में लेखनी असमर्थ सी लगती है। उसी भाव का वर्णन ये हस्त मुद्राएँ ही कर पायी हैं। 'सर्वनाश' नामक चित्र इस बात का प्रबल उदाहरण प्रस्तुत करता है। हस्त मुद्राओं के सफल अंकन के साथ ही साथ अजन्ता के चित्रकारों ने अँगुलियों और उसके पैरों के गठन के चित्रण में पूर्णतः महारथ हासिल की थी। विभिन्न प्रकार की पाद मुद्राओं में गति, स्थिरता एवं लय सभी का बड़ा भावपूर्ण समावेश किया गया है। चित्रकारों ने हाथों का अंकन बहुत ही लचीला किया है। अजन्ता की सभी हस्त मुद्राओं ने मानव मन के समस्त भावों को प्रकट कर सकने में पूरी सफलता प्राप्त की है। हाथों में प्रायः कमलपुष्प का अंकन चित्रकारों को विशेष प्रिय रहा है। पद्मपाणि अवलोकितेश्वर के दाहिने हाथ में भी चित्रकारों ने कमल पुष्प का अंकन कुशलता के साथ किया है। हस्त व पाद के सफल अंकन के साथ ही साथ अजन्ता चित्रकारों ने मुखाकृति की भंगिमाओं का भी स्पष्ट चित्रण किया है। यहाँ चित्रों की हस्त मुद्राओं एवं मुख भंगिमाओं में पूर्ण सामंजस्य दिखायी पड़ता है। ऐसी कोई कृति यहाँ दिखायी नहीं पड़ती जिसकी मुख मुद्राएँ कुछ और हों और हस्त मुद्राएँ कुछ और। अजन्ता भित्तिचित्र की सभी मुखाकृतियाँ मानव मन के सभी भावों को प्रकट करने में पूर्ण रूप से सक्षम दिखायी गयी हैं। इस प्रकार, अजन्ता के चितेरों ने हस्त पाद मुद्राओं के सफल अंकन के साथ-साथ लोचपूर्ण देहयष्टि का अंकन करके कठोरतम मांसल शरीर में भी सुकुमारता पैदा करके महान कार्य किया है।

(6) नारी का आदर्श रूप - अजन्ता गुहा की नारी आकृति का आदर्श रूप अपने आप में श्रेष्ठ उपलब्धि रही है। यह नारी आकृतियाँ उपभोग की वस्तु न होकर कला की अधिष्ठातृ देवियाँ हैं। अजन्ता के चित्रों में जो अपार सौन्दर्य द्रष्टव्य है, उसका कारण यही नारी आकृतियाँ हैं। यहाँ के भित्तिचित्रों में नारी का बड़ा ही गौरवपूर्ण चित्रण हुआ है और स्त्रियों के अंग-प्रत्यंग बड़े ही सुकुमार व सौन्दर्यपूर्ण बनाये गये हैं। इन नारी आकृतियों के केश कलापों का सौन्दर्य बहुत ही अद्भुत है जो उनकी छवि को और अधिक दीप्तिमान करता हुआ प्रतीत होता है। यहाँ नारी को रानी, परिचारिका, नर्तकी, माता, अप्सरा, प्रेयसी तथा बालिका आदि रूप में चित्रकारों ने अंकित किया है। अजन्ता की नारी आकृतियों में वासनात्मक रूप कहीं भी चित्रित नहीं किया गया है। ये नारी आकृतियाँ नग्न होते हुए भी कामुकता वाली न होकर मातृत्व एवं लज्जाशील आकृतियाँ लगती हैं। ग्लेडस्टोन ने अनुसार, "अजन्ता की नारी कोई व्यक्तिगत पात्र न होकर प्रकृति की अनुपम उपलब्धि है।" अजन्ता में नारी का रूप हर स्थान पर मनोहर और गौरवपूर्ण रहा है तथा किसी भी चित्र में इन्हें अशोभनीय नहीं दिखाया गया है। इन नारी आकृतियों में आध्यात्मिक एवं भौतिक दोनों ही प्रकार की सौन्दर्य अभिरुचियों का समन्वय किया गया है। इन नारी आकृतियों के विषय में कला समीक्षक सॉलमन महोदय का विचार है कि "अन्यत्र कहीं भी नारी को इतनी श्रद्धा व सहानुभूति प्राप्त नहीं है जितनी अजन्ता में अजन्ता में उसे एक विशिष्टता के साथ नहीं बल्कि एक सारतत्त्व के रूप में चित्रित किया गया है। वह एक नारी पात्र न होकर जगत में सौन्दर्य के मूर्त रूप में है।" नारी पूर्ण रूप से भारतीयता के आदर्श एवं मर्यादा के अनुरूप चित्रित की गयी है तथा भारतीय चित्रकला के गौरव एवं गरिमा की मूर्त रूप हैं। इस प्रकार अजन्ता गुहा की नारी आकृतियाँ भारतीय चित्रकला की गौरवमयी सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि मानी गयी हैं।

(7) आलेखन - अजन्ता के आलेखनों की योजना बड़ी ही मधुर व सौन्दर्यपूर्ण है। अजन्ता के विहार गुहाओं वाली छतें ढोलाकार बनायी गयी हैं। इन छतों पर आलेखनों का बड़ा सुन्दर प्रयोग दिखायी पड़ता है। इन आलेखन चित्रों में विशेष प्रकार का सन्तुलन एवं प्रवाह द्रष्टव्य होता है। इन आलेखनों में कमल पुष्प एवं हाथियों का अंकन अधिकांश रूप में किया गया है। यहाँ पर कमल-पुष्प अपने विभिन्न रूपों में चित्रित किया गया है। कमल-पुष्प को इतना महत्त्व दिया गया है कि इसका चित्र बोधिसत्व अवलोकितेश्वर के दाहिने हाथ में भी किया गया है। इस पुष्प को कला के क्षेत्र में इतना महत्त्व अन्यत्र और कहीं नहीं दिया गया है। हाथियों का अंकन अजन्ता के चित्रकारों का प्रिय विषय रहा है। यहाँ पर हाथियों के सजीव चित्रण के साथ-साथ उनकी कोमल सूँड़ को चित्रित करने में चित्रकार ने अपूर्व सफलता पायी है। इन आलेखनों में कमल पुष्प एवं हस्ति चित्रण के साथ-साथ पशु-पक्षियों एवं मानव आकृतियों का भी चित्रण किया गया है। इस प्रकार अजन्ता गुहा का कोना-कोना आलेखनों से युक्त है जिसकी चित्रण विधि सर्वथा अनोखी रही है।

(8) परिप्रेक्ष्य - अजन्ता की गुहा में परिप्रेक्ष्य विशेष प्रकार का है। यहाँ रेखाओं के घुमाव एवं चित्र के अवकाश स्थल में रूप स्थापना के द्वारा दूरी व समीपता का अहसास कराया गया है। इन गुहाओं में बने भित्तिचित्र में वातावरणीय एवं रेखीय परिप्रेक्ष्य दोनों का ही प्रयोग नहीं किया गया है। चित्रकार यहाँ पर केवल एक हल्के से संकेत के माध्यम से दर्शक को चित्र में अंकित उस स्थान पर पहुँचा देता है जहाँ चित्रण का पूर्ण आशय समझ में आ जाता है। इस प्रकार अजन्ता के चित्रकार परिप्रेक्ष्य के सफल अंकन में भी पूर्ण सिद्धहस्त थे।

(9) पशु-पक्षी एवं वनस्पतियों का चित्रण - अजन्ता के भित्तिचित्रों में पशु-पक्षियों का चित्रण अधिकांश रूप में हुआ है जिसे चित्रकारों ने सौन्दर्यपूर्ण ढंग से अजन्ता की भित्तियों पर चित्रित किया है। पशु-पक्षियों की ये आकृतियाँ बहुत ही स्वाभाविक एवं उन्मुक्तता के साथ चित्रित की गयी हैं। इनमें पशु-पक्षियों को मानवीय भावनाओं से युक्त चित्रित किया गया है जिससे यह ज्ञात होता है कि पशु-पक्षियों का मानव से घनिष्ठ परिचय था। पशु-पक्षियों की आकृतियों में हस्ति, कपि, अश्व, बैल, मृग, हंस, मयूर आदि का अंकन सफलता के साथ किया गया है लेकिन अजन्ता के कलाकारों को हंस एवं मयूर का अंकन करना सर्वाधिक प्रिय रहा है। पशु-पक्षियों के अंकन के साथ वनस्पतियों का भी अंकन बड़े मनोहर रूपों में किया गया है। इनमें कदली, आम्र, अशोक, साल, ताड़, गूलर आदि वनस्पतियों का अंकन बहुलता के साथ किया गया है। लेकिन प्रधानता कदली एवं आम्र वृक्ष की ही रही है। इन सबका चित्रण वास्तविक एवं शोभनार्थ दोनों ही रूपों में किया गया है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- कला अध्ययन के स्रोतों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- प्रागैतिहासिक भारतीय चित्रकला की खोज का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  3. प्रश्न- भारतीय प्रागैतिहासिक चित्रकला के विषयों तथा तकनीक का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- भारतीय चित्रकला के साक्ष्य कहाँ से प्राप्त हुए हैं तथा वे किस प्रकार के हैं?
  5. प्रश्न- भीमबेटका क्या है? इसके भीतर किस प्रकार के चित्र देखने को मिलते हैं?
  6. प्रश्न- प्रागैतिहासिक काल किसे कहते हैं? इसे कितनी श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं?
  7. प्रश्न- प्रागैतिहासिक काल का वातावरण कैसा था?
  8. प्रश्न- सिन्धु घाटी के विषय में आप क्या जानते हैं? सिन्धु कला पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  9. प्रश्न- सिन्धु घाटी में चित्रांकन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  10. प्रश्न- मोहनजोदड़ो - हड़प्पा की चित्रकला को संक्षेप में समझाइए।
  11. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की कला पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- जोगीमारा की गुफा के चित्रों की विषयवस्तु तथा शैली का विवेचन कीजिए।
  13. प्रश्न- कार्ला गुफा के विषय में आप क्या जानते हैं? वर्णन कीजिए।.
  14. प्रश्न- भाजा गुफाओं पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- नासिक गुफाओं का परिचय दीजिए।
  16. प्रश्न- अजन्ता की गुफाओं की खोज का संक्षिप्त इतिहास बताइए।
  17. प्रश्न- अजन्ता की गुफाओं के चित्रों के विषय एवं शैली का परिचय देते हुए नवीं और दसवीं गुफा के चित्रों का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- अजन्ता की गुहा सोलह के चित्रों का विश्लेषण कीजिए।
  19. प्रश्न- अजन्ता की गुहा सत्रह के चित्रों का विश्लेषण कीजिए।
  20. प्रश्न- अजन्ता गुहा के भित्ति चित्रों की विशेषताएँ लिखिए।
  21. प्रश्न- बाघ गुफाओं के प्रमुख चित्रों का परिचय दीजिए।
  22. प्रश्न- अजन्ता के भित्तिचित्रों के रंगों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  23. प्रश्न- अजन्ता में अंकित शिवि जातक पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  24. प्रश्न- सिंघल अवदान के चित्र का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  25. प्रश्न- अजन्ता के चित्रण-विधान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  26. प्रश्न- अजन्ता की गुफा सं० 10 में अंकित षडूदन्त जातक का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- सित्तन्नवासल गुफाचित्रों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  28. प्रश्न- बादामी की गुफाओं की चित्रण शैली की समीक्षा कीजिए।
  29. प्रश्न- सिगिरिया की गुफा के विषय में बताइये। इसकी चित्रण विधि, शैली एवं विशेषताएँ क्या थीं?
  30. प्रश्न- एलीफेण्टा अथवा घारापुरी गुफाओं की मूर्तिकला पर टिप्पणी लिखिए।
  31. प्रश्न- एलोरा की गुहा का विभिन्न धर्मों से सम्बन्ध एवं काल निर्धारण की विवेचना कीजिए।
  32. प्रश्न- एलोरा के कैलाश मन्दिर पर टिप्पणी लिखिए।
  33. प्रश्न- एलोरा के भित्ति चित्रों का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- एलोरा के जैन गुहा मन्दिर के भित्ति चित्रों का विश्लेषण कीजिए।
  35. प्रश्न- मौर्य काल का परिचय दीजिए।
  36. प्रश्न- शुंग काल के विषय में बताइये।
  37. प्रश्न- कुषाण काल में कलागत शैली पर प्रकाश डालिये।
  38. प्रश्न- गान्धार शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
  39. प्रश्न- मथुरा शैली या स्थापत्य कला किसे कहते हैं?
  40. प्रश्न- गुप्त काल का परिचय दीजिए।
  41. प्रश्न- “गुप्तकालीन कला को भारत का स्वर्ण युग कहा गया है।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  42. प्रश्न- अजन्ता की खोज कब और किस प्रकार हुई? इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करिये।
  43. प्रश्न- भारतीय कला में मुद्राओं का क्या महत्व है?
  44. प्रश्न- भारतीय कला में चित्रित बुद्ध का रूप एवं बौद्ध मत के विषय में अपने विचार दीजिए।

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